कोण्डागांव। चित्रकार खेम वैष्णव ने रामायण के अरण्यकांड को ध्यान में रखकर एक के बाद एक 3 बाई 2 के 16 नग कैनवास में रामलला को वनवासी राम के रूप में उकेरा है, जिसमें शबरी के जूठे बेर खाने से लेकर राम हनुमान मिलन, सुरपनखा की घटना सहित अन्य चरित्रों का बखूबी चित्रण किया है. 

चित्रकार खेम वैष्णव ने कैनवॉस में श्रीराम को वनवासी राम के रूप में उकेरा है. उन्होंने बताया कि तीन माह तक अरण्यकांड में राम के चरित्र चित्रण को उकेरते रहे और कब यह 16 कैनवास भर गए, इसका अंदाजा भी नहीं लगा. अब उनकी इच्छा है कि उनकी बनाई पेंटिंग अयोध्या में प्रदर्शित की जाए. वे कहते हैं कि मैं एक रिटायर्ड कमर्चारी हूं, मेरी हैसियत नहीं कि अपनी कलाकृति की प्रदर्शनी लगा सकूं. यदि शासन-प्रशासन चाहे तो मेरी इस कलाकृति को प्रदर्शित की जा सकती है.

अरण्यकांड में दण्डकारण्य का उल्लेख

चित्रकार खेम वैष्णव ने बताया कि अरण्यकांड में दण्डकारण्य का उल्लेख मिलता है और बस्तर ही दण्डकारण्य का इलाका हैं, और भी यहां के रहवासी हैं. इसलिए उन्होंने अपने मन में आए राम के चरित्र का चित्रण अपनी कला के माध्यम से उकेरते चले गए. अपनी इस कलाकृति में उत्तर की ओर से दण्डकारण्य में श्रीराम का आगमन और दक्षिण की ओर से निकल जाने का चित्रण किया है.

खेम वैष्णव कहते है कि दशकों बाद रामलला अपने धाम में पूणर्रूप से विराजित हो रहे हैं, इसके लिए न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व इस दिन विशेष की प्रतीक्षा कर रहा है, तो मैने भी अपनी लोकचित्रण के माध्यम से श्रीराम को वनवासी राम के रूप में प्रदर्शित करने का प्रयास किया है, जिसमें अरण्यकांड के उल्लेखानुसार तो है ही, इसमें उनके आगमन और यहां विचरण के दौरान वनवासियों से किए गए मेल-मिलाप को भी प्रदर्शित किया है.

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