बिलासपुर- शासकीय स्कूलों में इन दिनों छात्राएं कराटे की विधियों को सीख अपने शारीरिक व मानसिक शक्तियों को बढ़ा रही हैं। इसके साथ ही स्कूली बालिकाएं कराटे के प्रशिक्षण को खुद की सुरक्षा के लिए भी जरूरी समझ रही है। इससे उन्हें आत्मसम्मान व आत्मविश्वास विकसित करने का सुनहरा मौका मिल गया है।
रानी लक्ष्मीबाई आत्म रक्षा योजना के तहत जिले के हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों में यह पहल शुरू की गई है। स्वामी आत्मानंद लाला लाजपतराय स्कूल की छात्राएं खुद को सुरक्षित रखने के लिए कराटे का प्रशिक्षण ले रही हैं। बालिकाओं की शक्ति को बढ़ाने के लिए कराटे का यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। स्कूलों के प्रशिक्षकों के द्वारा आत्मरक्षा के नए-नए तकनीक के बारे में छात्राओं को बताई जा रही है।
ताकि छात्राएं बुरी परिस्थितियों में स्वयं के साथ-साथ दूसरों की भी रक्षा कर सके। बता दे कि शासन का स्पष्ट आदेश है कि छेड़छाड़ के अपराधियों को सबक सिखाने के लिए छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सीखाना काफी जरुरी है। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा बकायदा स्कूलों में कराटे प्रशिक्षणक नियुक्त कर दिया गया है। जिले के अलग-अलग स्कूलों में प्रशिक्षकों के द्वारा प्रतिदिन एक घंटे छात्राओं को आत्मरक्षा के बारे में बारीकी से जानकारी दी जा रही है।
फिलहाल लोफंडी स्कूल के छात्रों को कराटे की प्रशिक्षण दी जा रही है। इसके साथ ही छात्राओं को लाठी चलाना भी सिखाए जाएगे। ताकि संकट के समय में छात्राएं लाठी से दुश्मनों को परास्त कर सके। जिला शिक्षा अधिकारी टीआर साहू ने बताया कि छात्राओं के आत्मबल को बढ़ाने के लिए शुरू की गई यह मुहिम उनके भविष्य के लिए कारागार साबित होगी। आत्मरक्षा के हुनर सीखकर लड़कियां आत्मबल के साथ मुश्किल हालात सामना कर पाएगी। बालिकाओं की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है जिस कारण बालिकाओं को स्वयं आत्मरक्षा में निपुण होने की आवश्यकता है।
तीन माह तक छात्राओं को दी जाएगी कराटे का प्रशिक्षण
छात्राओं को आत्मरक्षा की विधा तीन माह तक सिखाएंगे। इसके बाद वे खुद नियमित अभ्यास कर सालभर में खुद की रक्षा करने की विधा सीख जाएगी। फिलहाल छात्राएं प्रतिदिन सुबह व शाम प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। वहीं कई स्कूलों में समय पर प्रशिक्षकों के नहीं पहुंचने पर छात्राएं स्वयं अभ्यास नहीं कर रही है।
बालिकाएं खेल में बनाना चाहती है कैरियर
छात्राएं आत्मरक्षा के गुर सीखने के साथ खिलाड़ी भी बनाना चाहती हैं। उनकी इच्छा प्रशिक्षण के बाद स्कूल के खेल में शामिल होने की है। इसके लिए वे पूरी गंभीरता से अभ्यास कर रही हैं। कराटे में बेहतर व सुरक्षित भविष्य भी है। छात्राएं खेलों इंडिया में भी शामिल होकर देश का प्रतिनिधित्व कर सकती है, जिसमें देश के लिए गोल्ड मेडल भी जीतना अवसर है।
मास्टर गणेश सागर ने बताया कि कराटे का नाम सुनते है तो सबसे पहली मन में यह बात आती है आत्मरक्षा। क्योंकि यह आत्मरक्षा की ही एक विधा है। जिसमें सांस पर नियंत्रण, अनुशासन तथा एकाग्रता द्वारा स्टूडेंट्स को दांव-पेंच स्टाइल व आघात पहुंचाने की कला सिखाई जाती है। कराटे सीखकर न सिर्फ आत्मरक्षा की जा सकती है, बल्कि इसे करियर विकल्प भी चुना जा सकता है। इस विधा में सेना, अर्धसैनिक बलों, पुलिस बल व सुरक्षा एजेंसियों में रोजगार में प्राथमिकता मिलती है। उनका कहना है कि अपराधियों से सामना करने के लिए यह कारगर विधा है।