बिलासपुर। 10 नवंबर को धनतेरस है। इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन लोग अपने अपने घर में धनलक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करते है। हिंदुओं आस्था से जुड़े इतने महत्वपूर्ण त्योहार पर छत्तीसगढ़ सरकार ने छुट्टी देने को जरुरी नहीं समझा है। धनतेरस को सरकारी छुट्टी नहीं होने से शिक्षक निराश हैं। वहीं निजी स्कूल अपने हिसाब से छुट्टी घोषित किए हैं।

स्कूलों में 11 नवंबर से दीपावली पर सरकारी छुट्टी दी गई है। इस साल छुट्टी के मामले में शिक्षकों का अनुभव अंगूर खट्टे हैं जैसा हो रहा है। शिक्षक संस्कार श्रीवास्तव ने बताया कि मतदान में शिक्षकों की ड्यूटी लगी है। शिक्षकों को दीपावली से ज्यादा 17 नवंबर को होने वाले मतदान ड्यूटी की चिंता सता रही है। इस बार ऐसी कड़ाई है कि महिला शिक्षकों की गुहार भी नहीं सुनी गई।

लिहाजा दूर दराज के मतदान केन्द्र में ड्यूटी करने के लिए दो दिन पहले चुनाव सामग्री के साथ पहुंचना होगा। वहीं पति पत्नी शिक्षक दंपति के सामने चुनाव डयूटी के दिनों में अपने बच्चों की देखभाल की चिंता बनी हुई है। नाते रिश्तेदार मित्र चित परिचितों पड़ोसियों के घर बच्चों को शिफ्ट कर वे चुनाव ड्यूटी करेंगे। दीपावली की छुट्टी का पूरी तरह से मजा वह नहीं उठा पाएंगे। दीपावली के कारण घर की साफ सफाई जैसे कार्य महत्वपूर्ण हो जाते हैं। जिनके लिए छुट्टी की जरूरत पड़ती है। लेकिन धनतेरस पर स्कूल खुले रहने के कारण शिक्षक वर्ग में निराशा व्याप्त है।

इधर युवा ब्रिगेड ने सरकारी छुट्टी की इस नीति को हिंदू आस्था से खिलवाड़ बताया है। यह मांग उठाते हुए कहा कि दीपावली की आधी अधूरी छुट्टी नहीं दी जानी चाहिए। धनतेरस से छुट्टी घोषित करना चाहिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक से संपर्क कर धनतेरस की छुट्टी की मांग एक दिन शाम तक की जा रही थी। सचिन श्रीवास्तव संतोष कुमार प्रतीक वर्मा उमाशंकर सोनी उदयसिंह गहलोत रोहित ढोबले ने सामान्य प्रशासन विभाग छत्तीसगढ़ शासन को इस संबंध में अपनी मांग भेजी थी, लेकिन मायूसी ही हाथ लगी।

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