बिलासपुर-    सरकंडा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में शुक्रवार को जागरूकता अभियान चलाया गया है। इस दौरान वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि किसानों को खेती करने में किसी तरह की कोई समस्या न हो। किसानों को नई-नई विधियों के बारे में जानकारी देकर प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में बताया जाए।

उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ प्राकृतिक खेती की मांग बढ़ते जा रहे हैं। उक्त अभियान को डा. आरकेएस तिवारी के मार्गदर्शन पर किया गया। किसान और कृषि के छात्रों को इस अभियान में शामिल किया गया। जहां किसानों को जानकारी दी गई कि किस तरह से खेतों को उपजाऊ बनाकर उसमे से ज्यादा फसल ले सकते हैं।

विशेषज्ञों ने छात्रों को बताया कि जैविक खेती और रासायनिक खेती में क्या अंतर् है। किसको लगाने से ज्यादा फायदा होता है और किससे नुकसान उठने पड़ते हैं। चूंकि आज के समय में ज्यादा फसल लेना और कम समय में फसल पैदा करने की सबको जल्दी रहती है। यही कारण है की लोग रसयनिक खाद का ज्यादा उपयोग करते है।

इसका सेवन करने से लोगों के सेहत पर नकारात्मक असर पड़ रहा है और गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। किसानों को फसल के फायदे और नुकसान के बारे में जानकारी दी गई।

इस अवसर पर छात्रों ने भी अपने विचार रखें और मन की शंका को दूर किए। इस दौरान कृषि वैज्ञानिकों ने भी छात्रों के सवालों का जवाब दिए। इसके बाद छात्रों ने कहा कि अब जैविक खेती का उपयोग करने का सही समय है। ताकि लोग बीमारी की चपेट में न आए। स्वस्थ्य जीवन गुजार सकें। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को खेती किसानी में होने वाली समस्याओ पर चर्चा की की। इस अभियान में डा. शिल्पा कौशिक, डा.अमित शुक्ला. डा.निवेदिता पाठक, डा.एकता ताम्रकर, हेमकांति बंजारे, डा. स्वाति शर्मा, जयंत साहू , पंकज मिंज सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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